सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) की बीमारी से ग्रस्त सेलिब्रिटीज

इस ब्लॉग में जानिए “सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) की बीमारी से ग्रस्त सेलिब्रिटीज के बारे में

बीमारी एक ऐसी स्थिति होती है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है चाहे वह साधारण व्यक्ति हो या कोई सेलिब्रिटी। क्या आपको लगता है कि सेलिब्रिटी जैसे लोगों को बीमारियां नहीं होती? और क्या आपको लगता है कि उनके पास बहुत सारा पैसा होता है और वे समय पर इलाज करा लेते हैं परंतु यह आपकी गलतफहमी है। बहुत सारी ऐसी बीमारियां होती हैं जो वक्त पर पता चल जाने और पैसा रहने के बावजूद भी व्यक्ति को प्रभावित करती हैं खासतौर से जानलेवा बीमारियां।

कुछ मानसिक बीमारियां भी हैं जो ज्यादातर बड़े-बड़े लोगों को होती हैं। वे दुनिया के सामने तो बहुत खुशहाल नजर आते हैं परंतु असली जीवन में अकेले रहते हैं। उनका अकेलापन उन्हें खाने लगता है जिसके कारण उन्हें मानसिक बीमारियां हो जाती हैं।

सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) भी एक मानसिक बीमारी है। यदि इसका समय पर उचित तरीके से इलाज न कराया गया तो यह खतरनाक भी हो सकती है इसीलिए इसका इलाज ज़रूरी है। दवा और थेरेपीज के द्वारा इस बीमारी का इलाज किया जाता है। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक इसका इलाज जितने समय तक चलना आवश्यक हो उतने समय तक इसका इलाज करवाएं। इलाज करने में लापरवाही ना बरतें चाहे वह कोई साधारण व्यक्ति हो या कोई सेलिब्रिटी।

सेलिब्रिटीज का नाम सुनते ही हमारी आंखें खुल जाती हैं। हमें लगता है कि यह कितनी अच्छी पोस्ट और ज़िंदगी है परंतु यहां हम एक बात बता दें कि कुछ सेलिब्रिटीज ऐसे हैं जो इतने मशहूर होने के बावजूद अपने जीवन में अकेले रह जाते हैं। 

आपको आपके प्रिय सेलिब्रिटी सुशांत सिंह राजपूत के बारे में तो पता ही होगा जिन्होंने आत्महत्या कर ली क्योंकि वह जीवन में अकेले रह गए थे और वह खुद को इस अकेलेपन से दूर नहीं कर पाए। 

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सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) क्या होता है और क्यों होता है?

सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) एक मानसिक बीमारी है। इस मानसिक बीमारी में व्यक्ति किसी भी चीज़ या किसी भी व्यक्ति की गैरमौजूदगी में भी उन चीजों को सोचने लगता है और वह चीजें उसे हकीकत में नजर आती हुई महसूस होती हैं। हालांकि उन चीजों का कोई वजूद नहीं होता और दूसरे लोग उसे नहीं देख पाते। यह सिर्फ और सिर्फ उस बीमार व्यक्ति के मस्तिष्क की मानसिकता के विकार के कारण होता है। ऐसे व्यक्ति को उसके जीवन में कई तरीके की आवाजें भी सुनाई देती हैं जिससे वह बातें करता है। उस की ऐसी हालत देखकर दूसरे व्यक्ति उसे पागल समझते हैं, परंतु यह पागलपन नहीं बल्कि एक मानसिक रोग है, जिसका इलाज वक्त पर कराना अनिवार्य है। 

बिपाशा बसु और जॉन अब्राहम की एक फिल्म मदहोशी में सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) नामक बीमारी को दिखाया गया है। यदि आप उस फिल्म को देख लें तो आपको सिजोफ्रेनिया के बारे में पता चल सकता है।

बात करें यदि सेलिब्रिटीज़ की तो वे एक अच्छी लाइफ़ स्टाइल जीते हैं। उन्हें देखकर हमें यही लगता है कि वे एकदम स्वस्थ हैं और उन्हें कोई भी परेशानी नहीं होगी। दरअसल ये एक तरह से हमारी नज़र का धोखा होता है क्योंकि सेलिब्रिटीज भी मानसिक बीमारियों की चपेट में होते हैं। उनमें से कुछ को सिजोफ्रेनिया जैसी ख़तरनाक बीमारी भी होती है।

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आज के अपने इस शीर्षक में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि वे कौन से सेलेब्रिटीज़ हैं जो सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) की बीमारी से ग्रस्त हैं।

तो आइए जानते हैं उनके बारे में –

पीटर ग्रीन (Peter Green)

Peter-green-सिजोफ्रेनिया-Schizophrenia

पीटर ग्रीन ने सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) नामक बीमारी का दर्द उस समय झेला जब वे अपने बैंड के साथ पूरे विश्व में अपनी सफलता की टॉप चोटी पर थे। पीटर ग्रीन एक मशहूर गिटारिस्ट, बाँसुरी वादक, गायक तथा सॉन्ग राइटर थे। पीटर ग्रीन का जन्म की 29 अक्टूबर 1946 को लंदन में हुआ था।

लॉस एंजेलिस टाइम्स को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने एक्सपीरियंस को दुनिया से साझा किया और अपनी बीमारी के बारे में बात की। उस समय वे एक अस्पताल में भर्ती थे। ये बीमारी उनके लिए इस क़दर परेशानी लेकर आयी थी कि वे अपनी निजी जीवन में खुशियों को बिलकुल भूल चुके थे। उनकी हालत इतनी ख़राब हो चुकी थी कि वह चीज़ों को ढंग से समझने में भी असमर्थ थे। 

उन्होंने अपनी इस बीमारी अर्थात सीजोफ्रेनिया (Schizophrenia) के अनुभव को लोगों से शेयर किया और बताया कि वे इस हद तक इस बीमारी से ग्रस्त हो चुके थे कि वे अपने आस पास की चीज़ों को तोड़ने लगते थे। 

यहाँ तक कि उन्होंने एक कार का शीशा भी तोड़ डाला था। इसके बाद उन्होंने बताया कि पुलिस उन्हें पुलिस स्टेशन ले गई और उनसे पूछा कि क्या वे हॉस्पिटल जाना चाहते हैं? पीटर ग्रीन ने पुलिस की इस बात का जवाब हाँ में दिया क्योंकि उनको लगता था कि उनके लिए हॉस्पिटल से ज़्यादा सुरक्षित जगह इस दुनिया में और कहीं नहीं है।

पीटर ग्रीन एक लंबे और कठिन इलाज से होकर गुज़रे जिसमें उन्हें अनेक दवाइयां दी जाती थी। इससे इन्हें काफ़ी लाभ भी हुआ और ये पुनः अपने काम की तरफ़ वापस आए। उन्होंने बताया कि शुरुआत में तो उन्हें अपने काम को करने में काफ़ी परेशानी होती थी लेकिन धीरे धीरे वे फिर से सब कुछ दोबारा सीखने लगे। इसी के साथ साथ उन्होंने ये भी सीखा कि साधारण जीवन सबसे उत्तम है। पहले वे चीज़ों को काफ़ी जटिल कर दिया करते थे और इसी कारण वे कुछ समझ नहीं पाते थे लेकिन अब उन्हें चीज़ों को आसान रखना आ गया था। पीटर ग्रीन ने अपने अनुभवों से लोगों को ये भी संदेश दिया कि उन्हें सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) नामक ख़तरनाक बीमारी तो थी लेकिन वे इससे लड़े और जीते भी।

जान नैश (John Nash)

John Nash सीजोफ्रेनिया (Schizophrenia)

13 जून 1928 में जन्म लेने वाले महान गणितज्ञ व प्रोफ़ेसर जॉन नैश को 2001 में आयी फ़िल्म ब्यूटीफुल माइंड से काफ़ी लोकप्रियता हासिल हुई। इस फ़िल्म में जॉन नैश के जीवन के उस पहलू पर प्रकाश डाला गया था जब वह सीजोफ्रेनिया (Schizophrenia) नामक ख़तरनाक बीमारी से जूझ रहे थे। जॉन नैश ने अपने जीवन के अनुभवों के बारे में काफ़ी कुछ लिखा था। 

उनका एक मशहूर कथन हैं, “कई लोग अक्सर इस विचार को बेचते रहते हैं कि ऐसे लोग जिनको मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हैं वे पीड़ा में रहते हैं। मेरा मानना है कि पागलपन एक तरह का बचाव है। यदि वास्तविकता में चीज़ें अच्छी नहीं हो रही हैं तो ऐसे में आप अपनी कल्पना शक्ति का प्रयोग करके बेहतर चीज़ का अनुभव कर सकते हैं।”

डैरल हैमंड (Darrell Hammond)

Darrell Hammond सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia)

डैरल हैमंड का जन्म 8 अक्टूबर 1955 को फ़्लोरिडा, अमेरिका में हुआ था। डैरल हैमंड एक अमेरिकन एक्टर और स्टैंडअप कॉमेडियन के रूप में मशहूर हैं। ये सैटरडे नाइट लाइव के एक रेगुलर कास्ट मेंबर भी रह चुके हैं।

डैरल हैमंड ने सीएनएन को एक इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने अपने बचपन की उन घटनाओं के बारे में बताया जब उनका शोषण किया गया था। उन्होंने बताया कि उनकी माता के द्वारा उनको फिजिकली अब्यूज़ किया गया था। 

किशोरावस्था जैसी छोटी उम्र में ही डैरल हैमंड सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) और अन्य मानसिक बीमारियों की चपेट में आ चुके थे। डैरल ने बताया कि उन्हें एक समय में लगभग 7 दवाइयों को एक साथ खाना पड़ता था। इसी के साथ साथ डॉक्टर्स नहीं जानते थे कि वे उनके साथ में क्या करें। इससे यह स्पष्ट होता है कि डैरल ने सीजोफ्रेनिया नामक इस मानसिक बीमारी का काफ़ी दर्द झेला है।

जेल्डा‌ फिट्जगेराल्ड (Zelda Fitzgerald)

Zelda Fitzgerald

जेल्डा‌ फिट्जगेराल्ड का जन्म 24 जुलाई 1900 को यूनाइटेड स्टेट्स में हुआ था। जेल्डा‌ फिट्जगेराल्ड को एफ स्कॉट फिट्जगेराल्ड से शादी करने के कारण काफ़ी लोकप्रियता हासिल हुई थी। इसी के साथ साथ जेल्डा‌ एक महान राइटर और पेंटर भी बनकर उभरी थी।

1930 ईसवी में जब जेल्डा‌ तीस साल की थीं तब उन्हें सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) नामक ख़तरनाक मानसिक बीमारी से डायग्नोस किया गया। जेल्डा‌ अनेक मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से घिरी रही और वह अपनी मृत्यु तक इन बीमारियों का सामना करती रहीं। उनका मानसिक स्वास्थ्य सही नहीं था और ये बात लोगों के बीच भी जानी जाती थी। उनके पति ने अपने उपन्यासों की फ़ीमेल कैरेक्टर्स को जेल्डा‌ से प्रेरणा प्राप्त करके संजोया। वे लोगों को ये बताना चाहते थे कि जेल्डा‌ एक महान औरत थीं जो सीजोफ्रेनिया नामक ख़तरनाक बीमारी से लड़ी।

1931 में जेल्डा‌ ने अपने पति को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोया। उन्होंने एक सपने की बात की जो वह और उनके पति रात्रि बेला में सजाया करते थे और सुबह तक उस सपने की दुनिया में आनंद से परिपूर्ण रहा करते थे। इस बात को हम यदि दूसरे आसान शब्दों में समझना चाहें तो हम ये कह सकते हैं कि जेल्डा‌ ने लोगों को सकारात्मक भावनाओं और विचारों की ओर प्रेरित करने का प्रयास किया। इतनी भयंकर बीमारी के बावजूद भी जेल्डा‌ ने हार नहीं मानी और उन्होंने सकारात्मक विचारों पर अपना ध्यान केंद्रित करने की भरसक कोशिश की।

लियोनेल अल्डरिच (Lionel Aldridge)

Lionel Aldridge

लियोनल अल्डरिच अमेरिका के एक मशहूर फ़ुटबॉल प्लेयर थे। इनका जन्म 14 फ़रवरी 1941 को लुसियाना, अमेरिका में हुआ था। इन्होंने अपने जीवन काल में लगभग 147 मैच खेले। यह एक महान फ़ुटबॉल प्लेयर थे जिन्होंने द नेशनल फ़ुटबॉल लीग के ग्यारह सीज़न्स तक अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। 

लियोनल ने 30 साल की उम्र के पड़ाव से अपने अंदर कुछ बदलाव महसूस करना शुरू कर दिया। दरअसल उन्हें पैरानॉयड सिजोफ्रेनिया (Paranoid schizophrenia) नामक मानसिक बीमारी थी। जब वे अपनी बीमारी की जाँच कराने के लिए डॉक्टर के पास गए तो पहले तो डॉक्टर ने उनकी बीमारी की जाँच में गलती की और उसी का इलाज किया। दरअसल लियोनल को पैरानॉयड सीजोफ्रेनिया था लेकिन डॉक्टर उनकी इस बीमारी का पता लगाने में असमर्थ रहा। सीजोफ्रेनिया की बीमारी से ग्रस्त होने के बाद लियोनल को अपनी ज़िंदगी में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ा।

1980 के दशक तक लियोनल की स्थिति काफ़ी दयनीय रही। उनका उनकी पत्नी से तलाक़ हो गया और वे कुछ सालों के लिए बेघर होकर सड़कों पर भी रहे।

जब वास्तव में उनकी बीमारी का पता चला तब उन्हें इस बीमारी को लेकर काफ़ी जागरूकता हुई। जब डॉक्टर ने वास्तव में उनकी इस बीमारी अर्थात सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) के बारे में बताया तब लियोनल को इसके बारे में पता चला। इसके बाद लियोनल ने इस बीमारी पर लोगों से खुलकर बातचीत की। वे अपनी इस बीमारी को लेकर ख़ुद सतर्क थे और वे लोगों में भी इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना चाहते थे। उन्होंने इस बीमारी को लेकर लापरवाही ना बरतने की अपील की और ये भी संदेश दिया कि इस बीमारी का इलाज करना आवश्यक है। इसी के साथ साथ उन्होंने ये भी कहा कि इस बीमारी से ठीक होना भी बिलकुल संभव है।

परवीन बाबी (Parveen Babi)

Parveen Babi

बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा परवीन बाबी को शायद ही कोई न जानता हो। परवीन बाबी अपने ज़माने की एक बेहद ख़ूबसूरत और टैलेंटेड अदाकारा थी। उन्होंने बड़े बड़े स्टार्स के साथ फ़िल्मों में काम किया। उनकी पर्सनल लाइफ़ और प्रोफ़ेशनल लाइफ़ में उतार चढ़ाव हमेशा ही देखने को मिलते रहे।

वैसे तो परवीन बाबी एक बेहद ख़ूबसूरत और टैलेंटेड अदाकारा थी लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि आज दुनिया उनको उनके टैलेंट के लिए याद नहीं करती। आज दुनिया परवीन बाबी को एक मानसिक रोगी के तौर पर याद करती हैं। परवीन बाबी को पैरानॉयड सिजोफ्रेनिया (Paranoid schizophrenia) नामक मानसिक बीमारी थी। इस बीमारी के कारण परवीन बाबी ने अपने जीवन में काफ़ी कष्ट सहे।

उनके रिश्ते भी लोगों से ख़राब होते चले गए। 2005 में परवीन बाबी अपने फ़्लैट में मृत पाई गई थी। आज तक उनकी मृत्यु एक रहस्य है।

लोगों का ये मानना है कि परवीन बाबी अपनी मानसिक बीमारी से इतना तंग आ गई थी कि वे इसे झेल नहीं पाईं और हार मान लिया। परवीन बॉबी की मृत्यु के समय वे एकदम अकेली हो गई थी।

ये तो रहे वे सेलिब्रिटीज़ जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में सीजोफ्रेनिया का दर्द सहा। आइए इसी क्रम में बात करते हैं सीजोफ्रेनिया नामक इस बीमारी के कुछ कारणों के बारे में।

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सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) के कारण क्या हैं ?

  • अकेले रहने के कारण यह बीमारी उत्पन्न होने की संभावना बहुत हद तक बढ़ जाती है। जो लोग अपने जीवन में अकेले रहते हैं खासतौर से उन लोगों में यह बीमारी देखने को मिलती है।
  • तनाव के कारण भी यह बीमारी उत्पन्न होती हैं।
  • मस्तिष्क की कमजोरी के कारण।
  • नशीली चीजों का सेवन करने के कारण। बहुत से लोग सोचते हैं कि वे अकेलापन और तनाव को नशीले पदार्थों के सेवन से कम कर कर सकते हैं परंतु यह उनकी बहुत बड़ी गलतफहमी है। यह चीजें व्यक्ति के तनाव को और बढ़ा देती हैं।
  • परिवारिक समस्या एक ऐसी समस्या है जो ज्यादातर घरों में देखने को मिलती हैं। बहुत कम घर ऐसे होंगे जिनमें लोग अच्छे से जीवन व्यतीत करते हो। कई परिवारों में बहुत ज्यादा लड़ाई झगड़ा और तनाव रहता है। ये सीजोफ्रेनिया का कारण बन सकता है।
  • पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) होने की ज्यादा संभावना रहती है।
  • बहुत से बच्चे अपने जीवन में अकेले रहते हैं। उनको सही ढंग से परवरिश नहीं मिल पाती है। उनके माता-पिता उनको सही से ध्यान नहीं दे पाते जिसके कारण उन बच्चों में सीजोफ्रेनिया होने की संभावना बढ़ जाती है।

सवाल-जवाब / Question- Answer (FAQ)

प्रश्न- सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) से ग्रस्त व्यक्ति कैसे ठीक हो सकता है पूरी जानकारी?

उत्तर- सीजोफ्रेनिया से ग्रस्त व्यक्ति ठीक हो सकता है परंतु उसके लिए उसे मनोचिकित्सक के पास जाकर उसके द्वारा दी गई थेरेपी को अपनाना पड़ेगा।

थेरेपी के द्वारा सीजोफ्रेनिया से ग्रस्त व्यक्ति ठीक हो सकता है। इसके साथ-साथ कई ऐसी दवाएं भी उपलब्ध हैं जिनसे मस्तिष्क के विकार को सही करके सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) की बीमारी को सही किया जा सकता है।

बहुत सारी ऐसी दवाएं हैं जिनका इस्तेमाल करके व्यक्ति हेलुसिनेशन (Hallucination) और डिल्यूजन (Delusion) से मुक्ति पा सकता है। 

एक बात और है! इस बात का ख्याल रखें कि सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) की बीमारी का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं है। इस बीमारी का इलाज जिंदगी भर भी चल सकता है। बीमारी के लक्षण और कारण को दूर करने से इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

प्रश्न- सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) का मरीज कितने दिनों में ठीक हो सकता है?

उत्तर- सीजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति 8 से 10 महीने के इलाज पर ठीक हो सकता है। उसे चाहिए कि वह बराबर इलाज कराता रहे। मनोचिकित्सक के द्वारा बताए गए उपायों को अपनाना अनिवार्य है अन्यथा लापरवाही करने पर व्यक्ति को और समय भी लग सकता है।

प्रश्न- सिज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia) बीमारी क्यों होती है?

उत्तर- एक शोध के द्वारा यह पता चला है कि सीजोफ्रेनिया मस्तिष्क के केमिकल्स में विकार के कारण होती है। हमारे मस्तिष्क में कुछ ऐसे केमिकल्स होते हैं जो सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) की बीमारी को जन्म देते हैं। इसके कारण व्यक्ति की भावनाओं और व्यवहार में बदलाव आता है और उसकी जीवनशैली प्रभावित होने लगती है। सीजोफ्रेनिया के कारण व्यक्ति को भ्रम होने लगता है और वह भ्रम उसे हकीकत में सुनाई और दिखाई देता है परंतु अन्य लोग उससे अनजान रहते हैं। यह सिर्फ और सिर्फ मस्तिष्क के विकार के कारण होता है। इसी के साथ ही सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) के लिए अन्य कारण भी ज़िम्मेदार हो सकते हैं जैसे अकेलापन, अतीत में हुई दुर्घटना, सदमा, शोषण आदि। 

प्रश्न- सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) जैसी मानसिक बीमारी से बचने के लिए व्यक्ति को क्या खाना चाहिए?

उत्तर- मस्तिष्क को सही रखने के लिए व्यक्ति को ऐसी चीजों का सेवन करना चाहिए जिससे तनाव व अवसाद जैसी बीमारियों से व्यक्ति को राहत मिले। इसके लिए जरूरी है कि खाने में पोषण से भरपूर चीजें का शामिल करें।

हमारे मस्तिष्क के सुचारू रूप से कार्य करने में ओमेगा 3 फैटी एसिड (Omega 3 Fatty Acid) बहुत ज्यादा सहायक होता है। इसलिए हमें ऐसी चीजों का सेवन करना चाहिए जिसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता हो जैसे हरी सब्जियां, ताजे फल, अलसी के बीज, सोयाबीन और सोयाबीन का तेल। जिंदगी को सही ढंग से व्यतीत करें। समय के अनुसार काम करें। हर रोज व्यायाम करें जिससे मस्तिष्क सही रहेगा।

निष्कर्ष

सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) एक मानसिक बीमारी है। सच पूछिए तो यह एक खतरनाक बीमारी है। इस बीमारी के कारण व्यक्ति के शरीर, मस्तिष्क, व्यवहार, भावनाओं और स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस मानसिक बीमारी के कारण व्यक्ति अपने जीवन के दैनिक कार्यों को सही तरीके से नहीं कर पाता। सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) की बीमारी पुरुषों और महिलाओं दोनों में होती है। गांव की अपेक्षा यह बीमारी शहरों में ज्यादा देखने को मिलती है। बहुत से लोग सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) के रोगियों को यह समझते हैं कि उन पर किसी जिन का साया है परंतु वैज्ञानिकों के द्वारा यह बताया गया है कि ऐसा कुछ नहीं है बल्कि उनके मस्तिष्क के विकार के कारण से होता है। तो इस गलतफहमी को दूर करना आवश्यक है। सीजोफ्रेनिया के व्यक्तियों के साथ अच्छा व्यवहार करें ना कि उनसे दूर भागे।

विशेष- इस लेख में उपलब्ध कराई गई जानकारी इंटरनेट पर मौजूद अनेक सोर्सेज़ से ली गई है। लेख में सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) नामक बीमारी से संबंधित कारणों और निवारणों पर विशेष चर्चा की गई है। हमारी सलाह यही है कि किसी भी निवारण को अपनाने से पहले अपनी बीमारी की अच्छे से जाँच करवाना आवश्यक है। इसके लिए सबसे पहली सलाह डॉक्टर से लेनी चाहिए। डॉक्टरी सलाह के पश्चात ही किसी भी निवारण को अपने ऊपर अप्लाई करें।

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