जानिए एचआईवी एड्स (HIV AIDS) के कारण, लक्षण और निदान के बारे में

इस ब्लॉग में हम “जानेंगे एचआईवी एड्स (HIV AIDS) के कारण, लक्षण और निदान के बारे में

एड्स (AIDS) नामक बीमारी एक ख़तरनाक बीमारी है जो एक विशेष प्रकार के वायरस से फैलती है। इस विशेष प्रकार के वायरस का नाम एचआईवी/HIV है।

कोई भी वायरस जब इस दुनिया में फैलता है तो वह काफ़ी लोगों की जान लेने का कारण बनता है। अभी भी हम एक ख़तरनाक वायरस से जूझ रहे हैं जिसे कोरोना वायरस (Corona virus) का नाम दिया गया है।

इसी वायरस की तरह इस दुनिया में और भी कई वायरस हैं जो मानवता के लिए ख़तरा हैं। इन्हीं वायरस में से एक का नाम एचआईवी/HIV वायरस हैं। एचआईवी/HIV वायरस मानवता के लिए एक बड़ा ख़तरा ही नहीं बल्कि एक श्राप भी है।

एचआईवी/HIV वायरस किस प्रकार एक व्यक्ति के जीवन को नर्क बना देता है ये तो शायद उस व्यक्ति को ही महसूस होता होगा।

दरअसल एचआईवी/HIV वायरस की अभी तक कोई वैक्सीन या दवा नहीं खोजी जा सकी है। यही कारण है कि यह वायरस अब तक सबसे ख़तरनाक वायरसों में से एक गिना जाता है।

आज के अपने इस लेख में हम HIV वायरस से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बातों की चर्चा करेंगे। तो आइए अपनी चर्चा को आगे बढ़ाते हैं।

एचआईवी/HIV वायरस के बारे में

एचआईवी/HIV का फ़ुल फ़ॉर्म ह्यूमन इमुनोडेफिशियेन्सी वायरस (Human Immunodeficiency Virus) होता है।

हमारे शरीर में प्रतिरक्षा कोशिकाएं पाई जाती हैं जिन्हें CD4 या T सेल के नाम से भी जाना जाता है। ये कोशिकाएं हमारे शरीर की रोगों से रक्षा करती हैं। जब हमारे शरीर में एचआईवी/HIV नामक वायरस प्रवेश कर जाता है तो ऐसे में इसका सबसे पहला निशाना CD4 नामक ये कोशिकाएं ही होती हैं।

ह्यूमन-इमुनोडेफिशियेन्सी-वायरस-human-immunodeficiency-virus

हमारे शरीर में प्रतिरक्षा कोशिकाएं पाई जाती हैं जिन्हें CD4 या T सेल के नाम से भी जाना जाता है। ये कोशिकाएं हमारे शरीर की रोगों से रक्षा करती हैं। जब हमारे शरीर में एचआईवी/HIV नामक वायरस प्रवेश कर जाता है तो ऐसे में इसका सबसे पहला निशाना CD4 नामक ये कोशिकाएं ही होती हैं।

CD4 कोशिकाएँ (cells) प्रतिरक्षा तंत्र (immune system) को मज़बूती प्रदान करती हैं। एचआईवी/HIV वायरस के शरीर में प्रवेश कर जाने के बाद धीरे धीरे शरीर में CD4 कोशिकाओं (cells) की कमी होने लगती है।

इनकी घटती संख्या के कारण शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र (immune system) बाहरी वायरस या बैक्टीरिया के हमले से लड़ने में नाकाम हो जाता है। ऐसे में ये वायरस या बैक्टीरिया शरीर को रोगग्रस्त कर देते हैं।

एचआईवी/HIV वायरस के शरीर में प्रवेश करने के बाद हमारा प्रतिरक्षा तंत्र (immune system) कमज़ोर हो जाता है और इस बीमारी को हम एड्स (AIDS) के नाम से जानते हैं।

एड्स का फ़ुल फ़ॉर्म एक्वायर्ड इम्यूनों डिफेंशियेंसी सिंड्रोम (Acquired Immunodeficiency Syndrome) होता है।

एड्स (AIDS) के बारे में

एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति के शरीर में लगभग 500-1600 पर क्यूबिक मिलीमीटर (cubic mm) CD4 कोशिकाएं (cells) उपस्थित होती है।

एड्स (AIDS) की स्थिति में व्यक्ति के शरीर में CD4 कोशिकाओं (cells)  का स्तर काफ़ी नीचे गिर जाता है। ये लगभग 200 पर क्यूबिक मिलीमीटर (cubic mm) के आंकड़े पर आ जाता है। यह स्थिति एड्स (AIDS) की होती है।

एचआईवी/HIV वायरस के शरीर में प्रवेश करने के निम्नलिखित माध्यम होते हैं

इंफ़ेक्टेड खून या सुई के द्वारा

एचआईवी/HIV वायरस खून के द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रवेश कर सकता है। जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को रक्तदान करता है तो ऐसे में ये सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि दान करने वाले व्यक्ति को कहीं एड्स (AIDS) तो नहीं है।

एड्स-AIDS

एक बार इस्तेमाल की गई सुई या ब्लेड को दोबारा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कभी कभी यह देखने में आता है कि एक इंजेक्शन किसी व्यक्ति को लगाया गया और फिर दोबारा वही इंजेक्शन किसी अन्य व्यक्ति को लगा दिया गया।

ये एक ख़तरे की स्थिति है। यदि जिस व्यक्ति को पहले इंजेक्शन दिया गया है उसे HIV है तो दूसरे व्यक्ति को उस इंजेक्शन के द्वारा इंफ़ेक्शन हो सकता है।

पुरुषों के सीमेन (Men’s semen) के द्वारा

पुरुषों के शरीर में एचआईवी/HIV वायरस ना सिर्फ़ खून में पाया जाता है बल्कि उनके सीमेन या वीर्य में भी HIV वायरस विद्यमान रहता है। वीर्य के द्वारा HIV वायरस एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश कर सकता है।

योनि के तरल (Vaginal fluid) के द्वारा

जिस तरह पुरुषों के सीमेन या वीर्य में HIV वायरस पाया जाता है ठीक उसी तरह महिलाओं की योनि में उपस्थित चिपचिपे पदार्थ में एचआईवी/HIV वायरस विद्यमान् रहता है। यदि महिला या पुरूष यदि किसी अन्य से शारीरिक संबंध स्थापित करते हैं तो ऐसे में HIV वायरस दूसरे लोगों के शरीर में जा सकता है।

गर्भवती महिला से शिशुओं में

यदि किसी गर्भवती महिला को एड्स (AIDS) है तो ऐसे में शिशु के शरीर में एचआईवी/HIV वायरस के जाने की संभावना बनी रहती है।

हालाँकि आज विज्ञान की तरक़्क़ी के कारण गर्भवती महिला से शिशु के शरीर में HIV वायरस को जाने से रोका जा सकता है लेकिन यदि सही से उपचार या देखरेख ना की जाए तो गर्भवती महिला से शिशुओं में HIV वायरस के जाने की संभावना बनी ही रहती है।

स्तनपान (Breastfeeding) के द्वारा

यदि स्तनपान कराने वाली महिला एचआईवी/HIV वायरस से ग्रस्त है तो ऐसे में शिशु के शरीर में स्तनपान के द्वारा HIV वायरस प्रवेश कर सकता है।

एचआईवी एड्स (HIV AIDS) से कैसे करें निदान?

HIV के संबंध में सबसे अहम बात ये है कि अब तक एड्स (AIDS) का कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है। इसका अर्थ ये हैं कि यदि शरीर में HIV वायरस प्रवेश कर जाता है तो ऐसे में व्यक्ति को समय बीतने के साथ साथ प्रतिरक्षा तन्त्र (immune system) कमज़ोर होने की दिक़्क़त हो जाती है।

एड्स के संबंध में बचाव ही एकमात्र इलाज माना जाता है। कहने का तात्पर्य ये हैं कि हमें जितना हो सके उतना एड्स से बचने की कोशिश करनी चाहिए।

इंजेक्शन लगवाते समय

हमें इंजेक्शन (injection) लगवाने से पूर्व ये सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि वह इंजेक्शन बिलकुल नया है। इसके लिए सबसे अच्छा यही है कि आप व्यक्ति को अपनी आँखों के सामने इंजेक्शन को पैकेट से निकालने के लिए कहें। इससे ये सुनिश्चित हो जाएगा कि वह इंजेक्शन पहले से ही इस्तेमाल किया हुआ नहीं है।

नाई की दुकान पर

नाई की दुकान पर ब्लेड या उस्तुरे की सफ़ाई का विशेष ख़याल रखें। सदा नई ब्लेड से ही शेव करें।

असुरक्षित यौन संबंध

असुरक्षित यौन संबंधों से बचें। एक से अधिक पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाने से बचें। शारीरिक संबंध बनाने के दौरान कंडोम (condom) का प्रयोग करें।

ऐसे पुरुष या महिला जिन्हें HIV वायरस का संक्रमण है उन्हें दूसरे नार्मल व्यक्तियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए।

क्या हो यदि किसी व्यक्ति को एचआईवी एड्स (HIV AIDS) हो जाए?

एड्स (AIDS) के बारे में बढ़ती जागरूकता के कारण लोग एड्स से अपना बचाव करने की भरपूर कोशिश करते हैं। यदि तब भी दुर्भाग्यवश किसी व्यक्ति को एड्स हो जाएं तो ऐसे में उसे क्या करना चाहिए?

ये स्थिति काफ़ी कठिन हो सकती है लेकिन आपको हिम्मत से काम लेना होगा। एड्स का इलाज अब तक खोजा नहीं जा सका है लेकिन विज्ञान ने इतनी तरक़्क़ी कर ली है कि एड्स से पीड़ित व्यक्ति के जीवन काल को बढ़ाया जा सकता है।

एड्स के मरीज़ को लाइफ़ सपोर्टिंग ट्रीटमेंट (Life Supporting Treatment) दिए जाते हैं जिससे व्यक्ति का जीवनकाल बढ़ सके।

एचआईवी एड्स (HIV AIDS) से संबंधित कुछ मिथक (Myth)

एड्स (AIDS) के संबंध में काफ़ी सारे मिथक या अफ़वाहें लोगों के बीच फैली हुई है। हम आपको बता दें कि साथ बैठकर खाना खाने से, हाथ मिलाने से, गले मिलने से, बातचीत करने से एड्स नहीं फैलता। एड्स के फैलने के कुछ निश्चित कारण हैं जो हमने अपने आज के इस लेख में पहले ही बता दिए हैं। इसीलिए एड्स से पीड़ित व्यक्ति के साथ भेदभाव न करें।

निष्कर्ष (Conclusion)

इम्यून सिस्टम या प्रतिरक्षा तंत्र को कमज़ोर बनाने वाले HIV को मानवता के लिए एक चैलेंज माना जाता है। आज तक एड्स का इलाज नहीं खोजा जा सका है। यही कारण है कि इस बीमारी से बचाव करना बेहद ज़रूरी है। एड्स के प्रति जागरूकता अपनाएं और स्वयं को इससे बचाएँ। इसी के साथ साथ अपने आस पास के लोगों में भी एड्स के प्रति जागरूकता को बढ़ावा दें।

लेख से संबंधित सवालों और सुझावों को आप कॉमेंट बॉक्स में लिखकर हमसे शेयर कर सकते हैं।

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